गाने |
जब गौर किया मैंने दुनिया की हकीक़त का |
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नज़रिया लगाए नाच बाँको छैल सैयां |
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जिस पे तू आँख उठा दे वो ही मस्तान है |
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हे दीन दयाल दया करके भवसागर से करो पार मुझे |
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तुमने बुते हरजाई कुछ ऐसी अदा पाई |
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दुनिया सभी मतलब की कोई नहीं जग में अपना |
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इस दो दिन की ज़िन्दगानी पर इतना क्यूँ इतराता है |
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रंजो सहने आदत हो गई |
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