गाने |
मैदाँ में आशिक़ों का लो आज इम्तिहाँ है |
|
|||||
|
|
|||||
जनियाँ तोरे हुस्न के कारण |
|
|||||
|
|
|||||
रंज-ओ-ग़म-ए-फ़ुरकत से कोई जान है खोता |
|
|||||
|
|
|||||
कैसी वसन्त ऋतु है छाई |
|
|||||
|
|
|||||
है किसके तसव्वर का दिल मेरा तमन्नाई |
|
|||||
|
|
|||||
बदरिया काली काली छाई |
|
|||||
|
|
|||||
आओ मोरे सैयाँ तन मन तुमपे वारूँगी |
|
|||||
|
|
|||||
गज़ब है हाल शबो रोज़ बेक़रारी का |
|
|||||
|
|
|||||