गाने |
भजो रे मन गोवर्धन गिरिधारी (गोविन्द गोविन्द कृष्ण मुरारी) |
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करूँगी करूँगी मैं तो हरी से प्रीत करूँगी |
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मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई रे |
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पायो जी मैंने राम रतन धन पायो |
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आओ रे आओ रे आओ रे हे गिरधारी |
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निंदिया तो बैरन भई |
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हरी चरण में मन लाग्यो |
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दुखन लागे नैन दरस बिन (अंतर्यामी होकर प्रभु) |
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