Subhadra Haran

सुभद्रा हरन

एल्बम वर्ग: हिन्दी, फ़िल्म
वर्ष: १९३२
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गाने


 
आज कोई जमना के तीर मत जइयो
 
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माया में तू मुसाफ़िर क्यों हो गया दीवाना
 
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सजाया सृष्टि ने सिंगार ललित लता मृदु मंजुल वायु
 
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कृष्ण कृष्ण बोल प्यारे कृष्ण कृष्ण बोल
 
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राम गुण गाओगे तो सब ही सुख पाओगे
 
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होत नहीं अन्यथा कर्म की गति अगम्य
 
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सुनी है आली ऐसी प्रीत कहीं
 
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हरि की वह छबि निरख जो पाऊँ
 
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साँवरिया ने कैसी बात बनाई
 
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ठान मन मान मत रूप गुण आग री
 
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यही सफल हुआ सदा प्रेम है शुभदा मुद्दा
 
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मोसों बतियाँ बनाओ नहीं बार बार
 
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चैन नहीं आता दर्द कुछ भी नहीं
 
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समझ जाओ प्यारी बात मत बढ़ाओ
 
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लेना एक ही नाम अवधूत
 
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प्रेम जगत में न्यारा है सबसे
 
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वाह रे जोगी बजाई प्रेम की बंशी नई
 
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सजीली चाँद सा मुखड़ा जो तुमने पाया है
 
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आँख से देखी जो सूरत ह्रदय से जाती नहीं
 
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सीखो सब ब्रह्म ज्ञान विद्या हु पाई
 
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भूल गयो गिरिधारी
 
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अहो हो बड़े भाग हैं हमारे
 
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