Toote Tare

टूटे तारे

एल्बम वर्ग: हिन्दी, फ़िल्म
वर्ष: १९४८
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती, रफ़ीक अजमेरी, मुज़्तर ख़ैराबादी
लेबल: सारेगामा
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फ़िल्म क्रेडिट: निर्देशक: हरीश - I. अभिनेता: शेख मुख्तार, शमीम, कन्हैयालाल, मृदुला, मुराद, पुतलीबाई, सुधीर - I, बाबू, एस. घोष, सुल्तान - II, शरीफ़, कंचन कुमार, अनवरी बाई, अधिक...
 



गाने


 
छोटा सा ये मंदिर है
गायक: राजकुमारी
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती, रफ़ीक अजमेरी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
ओ राजा मोहे ले चल तू दिल्ली की सैर को
गायक: गीता रॉय, मुकेश
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती, रफ़ीक अजमेरी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
दुख दर्द के मारों का सुने कौन अफ़साना
गायक: राजकुमारी
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: रफ़ीक अजमेरी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
न किसी की आँख का नूर हूँ
गायक: राजकुमारी
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: मुज़्तर ख़ैराबादी
शैली: फ़िल्मी, ग़ज़ल
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
मन में लागी आग सजनवा
गायक: राजकुमारी
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
नज़र से मिली है नज़र पहले पहले
गायक: गीता रॉय
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती, रफ़ीक अजमेरी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
रहते हो अब तो हर घड़ी मेरी नज़र के सामने
गायक: गीता रॉय, मुकेश
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती, रफ़ीक अजमेरी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
अरमान भरे दिल को मिट्टी में मिला डाला
गायक: गीता रॉय
संगीतकार: शौकत अली
गीतकार: अंजुम पिलिभिती, रफ़ीक अजमेरी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 

पुरस्कार


 
  • पुरस्कारों की जानकारी उपलब्ध नहीं है

सामान्य ज्ञान


 

    गीत

  • न किसी की आँख का नूर हूँ - This ghazal has been used in songs in many other Hindi films, including "Anokhi Mohabbat" (1934), "Woh Kaun" (1935), "Sarla" (1936), "Bhole Bhale" (1939), "Lal Qilla" (1960), "Noor-E-Elahi" (1976), and "Shararat" (2002). In all these instances, the lyrics were either not attributed to anyone or were credited to Bahadur Shah Zafar, the last Mughal emperor. However, according to poet and lyricist Jan Nisar Akhtar, the ghazal was written by his father Muztar Khairabadi. His son and Khairabadi's grandson, Javed Akhtar, has also echoed this claim. The current consensus among Urdu scholars is that it was Muztar Khairabadi who wrote the ghazal.[1][2][3][4][5][6][7][8]



सन्दर्भ


 

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