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लिखी नसीब में हैं ठोकरें ज़माने की
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सामान्य ज्ञान
ज़फ़र ख़ुर्शीद की यह गीत इस फ़िल्म के बाद "रास्ता" (१९४७) फ़िल्म में भी शामिल किया गया था. इस बात की जानकारी नहीं है कि "रास्ता" (१९४६) फ़िल्म में इस गीत को वैसे ही उपयोग किया गया था या फिर से रेकॉर्ड किया गया था.[1]