इस गीत की धुन शायद पेरू की कलाकार डैन्यल अलोमिया रोबल्ज़ की ऑर्केस्ट्रल रचना "एल कांडर पासा" से प्रेरित थी. रोबल्ज़ की यह रचना पेरू के लोक गीत पर आधारित थी. अमरीकी कलाकार साइमन एंड गारफ़ंकल ने इस धुन के आधार पर "एल कांडर पासा (इफ़ आइ कुड)" रेकॉर्ड किया था. अनू मलिक ने इस धुन को इससे पहले "ज़िंदगी ने पुकारा चले आये हम" ("ख़तरनाक", १९९०) और "तेरी चाहत के सिवा" ("जानम", १९९३) में इस्तमाल किया था. "धर्मात्मा" (१९७५) फ़िल्म की थीम संगीत भी शायद इसी धुन से प्रेरित थी.[1][2][3][4]