गाने |
बन्दे जगदम्ब अम्बिके भवानी |
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आदि अन्त मध्यहीन नित्य सदैवा नवीन |
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दुविधा महा करिए कहा |
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तलैया कैसे नहाए सामने है गंगा |
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आज खुले भाग अपने दीनबंधु की दया प्रणयी वियोगी |
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नगरी भस्मी भई ताराज हो गई पुरजन कुटुम्बजन |
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अग्नि बनी विपता |
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दयामय अपने दासों का तुम्हीं उद्धार करते हो |
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नव केसर की क्यारी |
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विध्न हरन हे तेज खंजर |
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हे दिव्य तारे रतनारे कंपत है |
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