अनू मलिक ने इस गीत के मुखड़े के धुन को उनके तीन अन्य गीतों में किया था - "आ ज़रा मेरे हमनशीं" ("पूनम", १९८३) की दूसरे इंटरल्यूड में, "आप का चेहरा आप का जलवा" ("तहलका", १९९२) की शुरुआत की कोरस में और "किताबें बहुत सी पढ़ी होगी तुमने" ("बाज़ीगर", १९९३) की इंटरल्यूड में इस्तमाल किए गए सैक्सफ़ोन सोलो में.[1][2][3]