Aag

आग

एल्बम वर्ग: हिन्दी, फ़िल्म
वर्ष: १९४८
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: बेहज़ाद लखनवी, सरस्वती कुमार दीपक, मजरूह सुल्तानपुरी
लेबल: सारेगामा
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
एल्बम क्रेडिट: MUSIC ASSISTANT: Kamal Ganguli.
 
फ़िल्म क्रेडिट: निर्देशक: राज कपूर. निर्माता: राज कपूर. कथा: इन्दर राज. पटकथा: इन्दर राज. संवाद: इन्दर राज. अभिनेता: नरगिस, अधिक...
 



गाने


 
रब मेरे अरज सुन मेरी
गायक: मुकेश, शैलेश
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: सरस्वती कुमार दीपक
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
देख चाँद की ओर (कहीं का दीपक कहीं की बाती)
गायक: शमशाद बेगम, शैलेश
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: सरस्वती कुमार दीपक
शैली: फ़िल्मी, बंगाली लोक, सुगम
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
ज़िन्दा हूँ इस तरह
गायक: मुकेश
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: बेहज़ाद लखनवी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
रात को जी चमकें तारे
गायक: शमशाद बेगम, मुकेश
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: मजरूह सुल्तानपुरी
शैली: फ़िल्मी, हिन्दी लोक
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
ना आँखों में आँसू
गायक: शमशाद बेगम
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: बेहज़ाद लखनवी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
काहे कोयल शोर मचाए रे
गायक: शमशाद बेगम
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: बेहज़ाद लखनवी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
सोलह बरस की भई उमरिया
गायक: शमशाद बेगम, मोहम्मद रफ़ी
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: बेहज़ाद लखनवी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 
दिल टूट गया जी
गायक: शमशाद बेगम
संगीतकार: राम गांगुली
गीतकार: बेहज़ाद लखनवी
शैली: फ़िल्मी
सम्पूर्ण रेटिंग:
मेरी रेटिंग:
 

पुरस्कार


 
  • पुरस्कारों की जानकारी उपलब्ध नहीं है

सामान्य ज्ञान


 

    एल्बम

  • राज कपूर शंकर - जयकिशन से पहली बार इस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान मिले थे. शंकर - जयकिशन इस फ़िल्म में संगीतकार राम गांगुली के सहायक के रूप में काम कर रहे थे. राज कपूर उनसे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने शंकर - जयकिशन को उनकी अगली फ़िल्म "बरसात" (१९४९) में संगीत रचने का काम सौंप दिया.[1]
  • इस फ़िल्म के निर्माण के दौरान राज कपूर ने शैलेंद्र को उनकी कविता "जलता है पंजाब" सुनाते हुए देखा था. चूँकि यह फ़िल्म भारत के विभाजन पर आधारित थी उन्हें लगा कि यह कविता इस फ़िल्म में काम आएगी. जब उन्होंने शैलेंद्र से यह बात उठाई तो शैलेंद्र ने अपनी कविता बेचने से मना कर दिया था. इस शुरुआत के बावजूद राज कपूर और शैलेंद्र में गहरी मित्रता बनी और फ़िल्म "बरसात" (१९४९) के साथ शैलेंद्र राज कपूर की टीम का अभिन्न अंग बन गए.[2]
  • १९४८ में निर्मित यह फ़िल्म आर.के. फ़िल्म्स के तहत जारी की गई पहली हिन्दी फ़िल्म थी. निर्माता और निर्देशक के रूप में यह राज कपूर की पहली फ़िल्म थी. २०१९ की तारीख तक आर.के. फ़िल्म्स के आखरी फ़िल्म "आ अब लौट चलें" (१९९९) थी.[3]

    गीत

  • ज़िन्दा हूँ इस तरह - मुकेश द्वारा गाए और राम गांगुली द्वारा रचित इस गीत में बाँसुरी और शहनाई रामलाल चौधरी ने बजाई थी. रामलाल फ़िल्म "सेहरा" (१९६३) और "गीत गाया पत्थरों ने" (१९६४) की संगीत के लिए जाने जाते हैं.[4][5][6]



सन्दर्भ


 

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